जब
किसी धातु को गर्म किया जाता हैं तब इसके अणु (Atom) तापीय
उर्जा ग्रहण कर लेते हैं |इसके कुछ इलेक्ट्रान इतनी उर्जा ग्रहण कर लेते
हैं की वो धातु की सतह से कुछ दूर जा सके |जिन्हें थर्मियोन (Thermions) कहते
हैं | बिना इस उर्जा के इलेक्ट्रान केवल धातु के अन्दर
ही गति कर सकते हैं बाहर नहीं आ सकते हैं |
अत:
इलेक्ट्रान का तापीय उर्जा पाकर इस तरह धातु की सतह आना तापीय उत्सर्जन(Thermionic Emission ) कहलाता हैं | इस तरह एक इलेक्ट्रान के गुच्छे का धातु की सतह
पर इलेक्ट्रान के बादल (Electron
Cloud ) के रूप में इक्कठा होना एडिसन प्रभाव (Eddision Effect) कहलाता हैं |
ELECRON INTHE CASE OF (a) METAL (b) HEATED METAL |
ये ऋण
आवेशित इलेक्ट्रॉन्स के धातु के बहार इक्कठे होकर स्पेस चार्ज (Space Charge) बनाते हैं |यह
स्पेस चार्ज अब दुसरे इलेक्ट्रॉन्स को धातु की सतह से तब तक बहार नहीं आने देता
हैं जब तक उन्हें इतनी पर्याप्त तापीय उर्जा नहीं दी जाये की वो इस स्पेस चार्ज के
प्रतिरोध को पर कर सके |
इस
स्पेस चार्ज के द्वारा धातु की सतह से दुसरे इलेक्ट्रान को बहार आने से रोकने को स्पेस चार्ज इफ़ेक्ट (Space Charge Effect) कहते हैं |
जब
इलेक्ट्रान फिलामेंट से निकलते हैं तो फिलामेंट खुच धन आवेश ग्रहण कर लेते हैं
जिससे फिलामेंट इस स्पेस चार्ज से कुछ इलेक्ट्रान दुबारा आकर्षित कर लेता हैं | इस तरह जब फिलामेंट को इस उत्सर्जी ताप (Emission Temprature ) तक गर्म करते हैं तो एक साम्यवस्था बन जाती हैं
जिसमे फिलामेंट से उत्सर्जित होने वाले इलेक्ट्रान की संख्या फिलामेंट के द्वारा
अवशोषित होने वाली इलेक्ट्रान की संख्या के सामान होती हैं |जिससे स्पेस चार्ज में इलेक्ट्रान की संख्या नियत रहती हैं , जिनकी संख्या फिलामेंट के ताप पर निर्भर करती हैं |इस प्रकार कैथोड से एनोड की तरफ बहुत बड़ी संख्या में
इलेक्ट्रान त्वरित कर उच्च इलेक्ट्रान धारा (Electron Current) प्राप्त की जा सकती हैं |यह इलेक्ट्रान बीम सदा एक्सरे ट्यूब में एक ही दिशा ( कैथोड
से एनोड की तरफ ) मैं बहती हैं |इस इलेक्ट्रान बीम में इलेक्ट्रान इलेक्ट्रान
के मध्य सामान आवेश होने के कारण प्रतिकर्षण बल कार्य करता हैं, इस कारण इलेक्ट्रान बीम अपनी चोडाई में फ़ैल जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप यह एक्सरे ट्यूब के बहुत बड़े हिस्से पर
टकराती हैं | इलेक्ट्रान
बीम के इस फैलाव को रोकने व एनोड पर इलेक्ट्रान बीम के टक्कर के क्षेत्र को सिमित करने
के लिए फोक्सिंग कप काम में लिया जाता हैं |
इस फोक्सिंग कप को फिलामेंट के बराबर ऋण
विभव दिया जाता हैं | इसे इस तरह डिजाईन किया जाता हैं कि यह इलेक्ट्रान बीम को
टारगेट पर इच्छित आकार व आकृति में
अभिसरीत (Convergent
) करे | यह फोक्सिंग कप सामान्यतया निकल का बना होता
हैं | एक्सरे ट्यूब में सामान्यतया एक व आधुनिक एक्सरे ट्यूब
में दो फिलामेंट होते हैं | ड्यूल फिलामेंट एक्सरे ट्यूब में दो फिलामेंट Side
by Side या One
Above Other व्यवस्था में
लगे होते हैं | इनमे एक फिलामेंट दुसरे से बड़ा होता हैं| इनमे एक बार में एक ही फिलामेंट इलेक्ट्रान बीम उत्पन्न करने के
काम आता हैं | लार्ज फिलामेंट बड़े (Long) एक्सपोज़र के लिए होता हैं |
फिलामेंट को एक्सरे ट्यूब के बीम एग्जिट पोर्ट
से फ़िल्टर हटा कर देख सकते हैं क्योकि फ़िल्टर गर्म होकर लाल दिखाई देता हैं | आधुनिक एक्सरे मशीन में दो से ज्यादा (3 )
फिलामेंट भी होते हैं तथा स्टीरियोस्कोपिक एन्जियोग्राफ़िक ट्यूब में फिलामेंट एक
अलग व्यवस्था में होते हैं, इसमें दो फिलामेंट 4 cm की दूरी पर स्थित होते हैं इनमे एक्सपोज़र से एक
स्टीरियोस्कोपिक फिल्म पैर प्राप्त हटा हैं |
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