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X RAY TUBE BLOCK DIAGRAM |
फिर भी फिलामेंट का
वाष्पन एक्सरे ट्यूब की उम्र कम होने का मुख्य कारण होता हैं क्योंकि वाष्पीकरण
से फिलामेंट पतला
होता जाता हैं, तथा पतला फिलामेंट के टूटने की संभावना अधिक होती हैं | अतः फिलामेंट
को वाष्पन से बचाने के लिए अधिक समय तक गर्म नहीं करना चाहिए | इसके लिए एक आधुनिक
एक्सरे ट्यूब में एक आटोमेटिक फिलामेंट बूस्टिंग सर्किट (Automatic Filament
Boostiong Circuit ) लगा होता हैं | जब यह सर्किट ऑन (ON) होता हैं तथा कोई
एक्सपोज़र नहीं हो रहा होता हैं तब एक स्टैंडबाई लो करंट (Stand By Low Current
) फिलामेंट को गर्म करता हैं | यह लगभग 5 ma करंट होता हैं जो फ्लुरोस्कोपी के सामान्य
एक्सपोज़र के लिए आवश्यक करंट होता हैं | जब इससे अधिक एक्सपोज़र की आवश्यकता होती
हैं तब Automatic Filament Boostiong Circuit एक्सपोज़र से पहले फिलामेंट करंट
को सामान्य से बड़ा देता हैं तथा एक्सपोज़र के पूर्ण होने पर फिलामेंट करंट को
स्टैंडबाई करंट पर ले आता हैं |
एक्सरे ट्यूब के एनोड व कैथोड से वाष्पित टंगस्टन धातु एक्सरे ट्यूब के कांच
की भीतरी सतह पर एक पतली परत के रूप में जम जाता हैं | टंगस्टन की यह परत एक्सरे
ट्यूब को भूरा (Bronze Sunburn Colored) रंग प्रदान करता है | यह परत एक्सरे ट्यूब
पर दो प्रभाव उत्पन्न करती हैं –
(1). यह एक्सरे ट्यूब से उत्सर्जित एक्सरे में से कम उर्जा के एक्सरे को रोक
कर एक फ़िल्टर की तरह कार्य करती हैं जिससे निर्गत एक्सरे की गुणवता (Quality )
प्रभावित होती हैं |
(2). यह परत इलेक्ट्रोड व एक्सरे ट्यूब आवरण के मध्य उच्च विभवान्तर होने से इलेक्ट्रिक
आर्क (Electric Arc ) का कारण बनती हैं जिससे एक्सरे ट्यूब के पंक्चर होने की
संभावना अधिक होती हैं | इसी कारण ग्लास ट्यूब की जगह धातु के आवरण ( Metal Wall )
वाली एक्सरे ट्यूब डिजाईन की गई |
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