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ANODE HEEL EFFECT |
एक्सरे ट्यूब में कैथोड के बजाय एनोड की तरफ एक्सरे विकिरण की तीव्रता कम होती हैं इसे एनोड हील इफ़ेक्ट कहते हैं | इलेक्ट्रान बीम का एक्सरे में परिवर्तन टारगेट एनोड की सतह में न होकर उसके निचे होता हैं | एक्सरे बीम टारगेट सतह से बाहर आने से पहले उसका कुछ भाग टारगेट सतह में अवशोषण हो जाता हैं | एनोड साइड में एक्सरे को टारगेट से बाहर आने से पहले टारगेट मटेरियल में ज्यादा दुरी तय करनी पड़ती हैं अतः एक्स किरणों का ज्यादा अवशोषण होता हैं | यह अवशोषण कैथोड साइड की एक्स किरणों का कम होता हैं | इसलिए निकलने वाली एक्सरे बीम में एनोड साइड में एक्सरे की तीव्रता कम होती हैं तथा कैथोड साइड में एक्सरे की तीव्रता ज्यादा होती हैं |
हील इफ़ेक्ट को प्रभावित करने वाले कारक
एनोड एंगल (Anode angle)
एनोड एंगल बढ़ने से एनोड के लम्बवत दिशा में टारगेट मटेरियल की मात्रा कम हो जाती हैं जिससे इस दिशा में काम एक्सरे का अवशोषण होता हैं अतः हील इफ़ेक्ट कम दिखाई देता है |
टारगेट तो फिल्म डिस्टेंस (Target to film distance)
दुरी बढ़ने के साथ साथ एनोड हील इफ़ेक्ट कम होता जाता हैं क्योकि अपसारित(diversing) बीम एकसमान (uniform) होती जाती हैं |
फील्ड साइज (field size)
एक्सरे फील्ड के सेंटर में बीम ज्यादा यूनिफार्म होती हैं क्योकि उसके किनारो के वेरिएशन को कोलीमीटर अवशोषित कर लेता हैं |
पोजिशनिंग (positioning)
हायर थिकनेस बॉडी पार्ट को कैथोड की तरफ तथा कम थिकनेस वाले पार्ट को एनोड की तरफ रखकर यूनिफार्म बीम प्राप्त कर सकते हैं | जैसे- थोरेसिक स्पाइन रेडियोग्राफी में गर्दन वाले पतले भाग को एनोड की तरफ तथा एब्डोमेन वाले मोटे भाग को कैथोड की तरफ रखने से थोरेसिक स्पाइन की डेंसिटी लगभग एकसमान मिलती हैं | इसके अलावा फुट के एक्सरे में हील वाले भाग को कैथोड की तरफ तथा अंगुलियों वाले की तरफ रखकर यूनिफार्म डेंसिटी की इमेज प्राप्त की जा सकती हैं |
Very nice
जवाब देंहटाएंThanks
जवाब देंहटाएंPlzz Help me
जवाब देंहटाएंOuther nots
Call me Bhai 8209850720
Nice notes
जवाब देंहटाएंKisi k pas bdiya notes ho to send kro 🙏🙏
जवाब देंहटाएं7742727419