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LATENT IMAGE FORMATION

LATENT IMAGE


                     फोटोग्राफिक फिल्म पर उपस्थित सिल्वर हैलाइड ग्रेन छोटे क्रिस्टल के रूप में होता है जो  जिलेटिन में सस्पेंडेड अवस्था में होते हैं | यह क्रिस्टल सिल्वर आयन्स (Ag+), ब्रोमीन आयन्स (Br+) तथा आयोडीन आयन्स (I+) से बने होते हैं, तथा यह सभी आयन क्रिस्टल जालक या क्यूबिक लैटिस में व्यवस्थित रहते हैं |
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                          मेडिकल एक्सरे फिल्म में उपस्थित यह ग्रेन बहुत ही छोटे होते हैं, लेकिन फोटोग्राफिक फिल्म पर उपस्थित fine-graine की तुलना में यह काफी बड़े होते हैं | इनका औसत क्रिस्टल साइज 1 से 1.5 माइक्रोन के बीच में होता है |  प्रत्येक ग्रेन में 10 लाख से 1 करोड़ सिल्वर आयन होते हैं |

                       यह सिल्वर आयोडो ब्रोमाइड ग्रेन परफेक्ट क्रिस्टल नहीं होता है, क्योंकि परफेक्ट क्रिस्टल में कोई फोटोग्राफिक सेंसटिविटी नहीं होती है | इस क्रिस्टल में बहुत सारे क्रिस्टल डिफेक्ट होते हैं,  जिसमें एक है प्वाइंट डिफेक्ट | इसमें एक सिल्वर लाइन अपनी  नॉर्मल पोजीशन से बाहर निकलकर क्रिस्टल लैटिस में चला जाता है, यह इंटरस्टिशियल सिल्वर आयन क्रिस्टल में कहीं भी गति कर सकते हैं | सिल्वर आयन्स का यह डिसलोकेशन लाइन इंपरफेक्शन (line imperfection)  कहलाता है |

Read : X-ray film Emulsion 

                            यह सिल्वर आयन्स का डिस्लोकेशन ही एक्सरे फिल्म की लाइट सेंसिटिविटी का कारण होते हैं | इन क्रिस्टल की केमिकल सेन्सीटाइजेशन (chemical sensitization) को कई तरीकों से बढ़ाया जा सकता है | साधारणतया इसके लिए  इमल्शन में  एक सल्फर कंटेनिंग कंपाउंड जैसे कि एलील थायो यूरिया (allyl thio urea)मिलाया जाता है | यह सिल्वर  हैलाइड से क्रिया करके सिल्वर सल्फाइड बनाता है | यह सिल्वर सल्फाइड क्रिस्टल की सतह पर स्थित होता है तथा इसे सेंसटिविटी स्पेक (sensitivity speck) कहते हैं | यही सेंसटिविटी स्पेक एक इलेक्ट्रॉन ट्रैप करता है, तथा लटेंट इमेज का निर्माण प्रारम्भ करता है |


                          मैटेलिक सिल्वर ब्लैक कलर की होती है, तथा यह मैटेलिक सिल्वर ही x-ray फिल्म पर डार्क एरिया प्रोड्यूस करता है | फिल्म पर गिरने वाला लाइट फोटोन इमल्शन द्वारा एक अवशोषित कर लिया जाता है | यह  ऊर्जा अवशोषित कर ब्रोमीन आयन अपने एक इलेक्ट्रॉन को बाहर निकाल देता है |

Br- + light photon → Br + electron

                       यह इलेक्ट्रॉन क्रिस्टल में काफी दूर तक गति कर सकता है, तथा लाइन इंपरफेक्शन या सेंसटिविटीज स्पेक पर जाकर यह इलेक्ट्रॉन ट्रैप हो जाता है | यह इलेक्ट्रॉन सेंसटिविटीज स्पेक को एक नेगेटिव चार्ज दे देता है | यह सेंसिटिविटी स्पेक का इलेक्ट्रान अब क्रिस्टल लेटेस्ट में उपस्थित मोबाइल इंटरस्टिशल सिल्वर आयन को अट्रैक्ट करता है | सेंसिटिविटी स्पेक पर यह इलेक्ट्रॉन पाकर सिल्वर आयन न्यूट्रल हो जाता है, तथा सिल्वर एटम में परिवर्तित हो जाता है |
Ag+ + electron → Ag

                             अब यह सिल्वर एटम एक इलेक्ट्रॉन ट्रैप की तरह व्यवहार करता है, तथा दूसरे इलेक्ट्रॉन को ट्रैप कर लेता है | यह इलेक्ट्रान दोबारा एक सिल्वर आयन को आकर्षित करता है | इससे इस सेंसटिविटी स्पेक पर खूब सारे सिल्वर एटम आते हैं,  तथा उनका यूटिलाइजेशन हो जाता है | यह सेंसिटिविटी स्पेक पर इलेक्ट्रान ट्रैप होने को Gurney-Mott  Hypothesis से समझाया जाता है |   नेगेटिव ब्रोमाइड आयन जिससे इलेक्ट्रॉन बाहर निकल जाता है, उदासीन ब्रोमीन में परिवर्तित हो जाती है, जो क्रिस्टल से बाहर निकल कर इमल्शन में आ जाती है |
LATENT IMAGE FORMATION

                             वो क्रिस्टल जिनमें सेंसटिविटी स्पेक पर मैटेलिक सिल्वर बन जाता है, लेटेंट इमेज सेंटर (latent image center) कहलाते है तथा इन्हे एक्सपोज्ड सिल्वर हैलाइड ग्रेन कहते है | एक सिल्वर हैलाइड ग्रेन पर एक से ज्यादा लेटेंट इमेज सेंटर का निर्माण हो सकता है , लेकिन अभी इन मैटेलिक सिल्वर एटम के द्वारा फिल्म पर कोई विजिबल चेंज नहीं दिखाई देता हैं,  अथार्थ फिल्म ब्लैकनिंग शुरू नहीं हुई होती है | किसी भी सिल्वर हैलाइड ग्रेन डेवेलप होने योग्य बनाने के लिए जरूरी है कि उस पर कम से कम 2 लेटेंट इमेज सेंटरउपस्थित हो  | लेटेंट इमेज सेंटर पर जितने ज्यादा सिल्वर एटम होंगे, उसकी डेवलप होने की संभावना उतनी ही ज्यादा होती है | कुछ लेटेंट इमेज सेंटर पर कई सौ सिल्वर एटम्स होते हैं |







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