कभी कभी पेशेंट खड़े या बैठने की स्थिति में नहीं रहता, यहाँ तक की वो करवट लेने की स्थिति में भी नहीं रहता है इस अवस्था में पेशेंट को सुपाइन अवस्था में सुला कर हॉरिजॉन्टल बीम के साथ एक्सरे लिया जाता है | Xray Chest Dorasal Decubitus View लेटरल डेकुबिटस का एक सप्लीमेंट्री व्यू होता है | यह इंट्रापेरिटोनियल गैस को पहचानने के काम आता है |
Position of Patient
- पेशेंट को सुपाइन अवस्था में सुलाते है आर्म को एब्डोमेन तथा थोरेक्स से दूर ऊपर उठा देते है |
- पेशेंट के लेटरल साइड में एक वर्टीकल बकी में कैसेट या इमेज रेसेप्टर रखते है | कैसेट के अपर बॉर्डर को इतना ऊपर रखते है की रेडियोग्राफ में डायाफ्राम शामिल हो जाये |
DORSAL DECUBITUS ABDOMEN |
- पेशेंट का मीडियन सेजीटल प्लेन को कैसेट के पैरेलल रखते है |
- 35X43 cm साइज की कैसेट काम में ली जा सकती है |
Direction and Centring of Xray beam
- इस प्रोजेक्शन के लिए हॉरिजॉन्टल एक्सरे बीम काम में लेते है | बीम को आवश्यक एरिया पर कोलीमेटेड किया जाता है | एक्सरे बीम का सेंटर पॉइंट को कैसेट के सेंटर पर पेशेंट के लेटरल साइड पर रखते है |
- एक्सपोज़र टाइम को कम रखते हुए अरेस्टेड रेस्पिरेशन में एक्सपोज़र करते है |
Exposure parameter
- kVp - 70 to 90
- Technique - 500ma
- Time - 0.1 sec
- Grid - yes
- Grid ratio - 10 : 1
- FFD - 100cm
- Focal spot - Large (0.2mm)
Image characteristic
रेडियोग्राफ में सम्पूर्ण बॉवेल पैटर्न शामिल होना चाहिए | इमेज में एंटीरियर एब्डोमिनल वाल तथा डायाफ्राम शामिल होना चाहिए |
रेस्पिरेटरी मोशन के कारण बॉवेल गैस में कोई ब्लर्रिंग (bullring) नहीं होनी चाहिए |
रेस्पिरेटरी मोशन के कारण बॉवेल गैस में कोई ब्लर्रिंग (bullring) नहीं होनी चाहिए |
Ap ki theory best hai lekin sabhi view ki exposure factor nhi de rkha
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