CT Scan सबसे पहले सन 1971 में Godfrey Hounsfield द्वारा introduce की गई थी | यह ब्रेन की स्टडी के काम आने वाली सिंगल डिटेक्टर मशीन थी |
First generation ct scanner-
इस जनरेशन में एक ही एक्सरे सोर्स होता था तथा एक्सरे डाटा कलेक्ट करने के लिए एक ही एक्सरे डिटेक्टर होता था | कोर्स तथा डिटेक्टर के दूसरे से ढृढ़ता से जुड़े होते थे | इस जनेरेशन में काम आने वाली एक्सरे बीम पेंसिल बीम होती थी | इसमें ट्यूब डेटक्टर (tube detector) मूवमेंट ट्रांसलेट रोटेट (translate-rotate) प्रकार की थी | ट्रांसलेशन में एक्सरे समान्तर प्रोजेक्शन के सेट प्राप्त करने के लिए एक्सरे ट्यूब पेशेंट के एक साइड से दूसरी साइड में मूवमेंट करती हैं | इसके बाद ट्यूब एक छोटे से एंगल पर रोटेट होके दूसरी साइड में ट्रांसलेट करती हैं |
यह प्रोसेस एक प्रोजेक्शन के लिए होता हैं तथा तब तक रिपीट की जाती हैं जब तक 180 प्रोजेक्शन ना हो जाये | इस ट्रांसलेट रोटेट ज्योमेट्री के कारण इस जनरेशन को ट्रांसलेट रोटेट स्कैनर कहते हैं | फर्स्ट जनरेशन ct scanner में केवल 2 डिटेक्टर काम में लिए जाते थे, जो एक्सरे ट्यूब के सामने दूसरी साइड पर लगे होते थे | ये दोनों डिटेक्टर पेशेंट को पर करके आने वाली एक्सरे को डिटेक्ट करती थी तथा एक बार में इमेज की 2 स्लाइस बनती थी |
इस जनरेशन की ct scan की सबसे बड़ी खासियत इसमें काम ली जाने बाली pencil beam Xray geometry थी, क्योंकि 2 डिटेक्टर ही काम में लिए जाते थे इसलिए एक्सरे बीम नहीं बहुत शार्ट रखी जाती थी जिससे स्कैटर (scatter) रेडिएशन भी बहुत काम होता था |
इस जनरेशन की ct scan की सबसे बड़ी कमी इसमें स्कैन तथा image reconstruction के दौरान लगने वाला समय था |
Second generation ct scanner-
हेड सीटी को प्राप्त करने में लगने वाले समय को कम करने की उम्मीद में, सीटी स्कैनर के लिए पहली growth एक संकीर्ण फैन एक्स-रे (a narrow fan beam) बीम का उपयोग था जिसमें लगभग 10 डिग्री के कोण के साथ 30 डिटेक्टरों का एक linear array काम में लिया जाता था | पहली पीढ़ी में देखी गई पेंसिल बीम और दो डिटेक्टरों से यह एक बड़ा बदलाव था | इस जनरेशन के ct scan से image acquisition के टाइम में पर्याप्त कमी आ गई | यद्पि अभी भी फैन बीम एक्सरे का एंगल पर्याप्त बड़ा नहीं था इस कारण अभी भी अभी भी एक्सरे ट्यूब व डिटेक्टर के रैखिक मूवमेंट (translate movement) की आयश्यकता थी, लकिन इस linear displacement की मात्रा नाटकीय रूप से बहुत कम हो गई |
इसके शुरुवाती संस्करण में 3 डिटेक्टर होते थे जो translate के बाद 3° रोटेशन करते थे इस प्रकार एक सेक्शन के लिए 180 ट्रांसलेशन के बजाय कुल 60 ट्रांसलेशन होते थे | इसके बाद के संस्करणों में में 53 डिटेक्टर तक काम में लिए गए |
इस जनरेशन के ct scan की सबसे बड़ी कमी इसकी फैन बीम थी जिससे डिटेक्टर तक पहुंचने वाले स्कैटर रेडिएशन की मात्रा में बृद्धि होने से इमेज रेसोलुशन में कमी आयी | इस जनरेशन में अभी भी इमेज के लिए एक्सरे ट्यूब को translate-rotate किया जाता था जिससे स्कैन टाइम अभी भी बहुत जयादा था |
इसी कारण फर्स्ट तथा सेकंड जनरेशन ct scan को head तथा brain की इमेजिंग के ही काम में लिया जाता था, क्योंकि थोरैक्स तथा एब्डोमेन में लगातार मूविंग ऑर्गन होते हैं |
Third generation ct scanner-
ट्रांसलेशनेशनल
मोशन, जिसका इस्तेमाल
पहली और दूसरी
पीढ़ी के स्कैनर
में किया गया
था, काफी समय
लेने वाला था | CT डेवलपमेंट में मुख्य लक्ष्य स्कैन टाइम को 20 sec से काम करना था ताकि ब्रेन इमेजिंग के साथ एब्डोमेन तथा चेस्ट इमेजिंग भी की जा सके | इसके लिए यह प्रस्तावित किया गया की हर रोटेशन मूवमेंट के बाद ट्रांसलेट स्टेज को समाप्त कर दिया जाये | इसने एक wide aperture x-ray beam (fan beam) की शुरूआत को बढ़ावा दिया, जो एक समय में पूरे रोगी (टुकड़ा) तक पहुंच सकता था: इसका मतलब यह था कि एक्स-रे ट्यूब और डिटेक्टर अब बिना rotational movement के प्रत्येक कोण के माध्यम से स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं तथा हर रोटेशन में कई स्लाइस इकट्ठा कर सकते थे। इसने ct से ट्रांसलेशनल मूवमेंट को ख़तम कर दिया | इसमें एक्सरे बीम का अपर्चर 40 से 60° होता हैं | इसमें डिटेक्टर का एक large array काम में लिया जाता हैं | इस नए array में 400 से 1000 डिटेक्टर एलिमेंट लगे होते हैं | एक्सरे ट्यूब तथा डिटेक्टर ऐरे एक दूसरे से लगे होते हैं तथा एक साथ पेशेंट के चारो और घूमते हैं |
एक्स-रे ट्यूब रोटेशन के बजाय, इन इलेक्ट्रॉन बीम स्कैनर में एक बड़ी एक्स-रे ट्यूब होती है जिसके अंदर रोगी स्कैन के दौरान रहता है। रोगी के पीछे, एक इलेक्ट्रॉन गन होती है, जो इलेक्ट्रॉनों को बाहर निकालती है। यह इलेक्ट्रॉन बीम इलेक्ट्रॉनिक रूप से रोगी से दूर, नीचे झुक (deflect) जाती है, और रोगी को घेरने वाले बड़े, half circle टंगस्टन टारगेट पर गिरती हैं | टारगेट रिंग के साथ इलेक्ट्रॉनों की टक्कर एक एक्स-रे बीम उत्पन्न करती है, जो पेशेंट को पार करके उसके सामने लगे डिटेक्टर पर गिरती हैं|
Adventage-
इस जनरेशन की ct scan की सबसे बड़ी खाशियत स्कैन टाइम का एक डीएम से कम हो जाना हैं जो कुछ ही सेकंड का रह गया था | कुछ सिस्टम 5 sec से भी कम समय में प्रोजेक्शन पूरा कर सकते थे | थर्ड जनरेशन ct scan system अभी भी मार्किट में उप्लब्द हैं जो एक सेकंड से भी कम समय में भी स्कैन करता हैं |
Disadvantage-
1. दो डिटेक्टर की जगह 400 से 1000 काम में लेना ज्यादा महंगा हैं | लकिन यह तर्क दिया जाता हैं की स्कैन टाइम का इतना कम होना पेशेंट को एक्सट्रा बेनिफिट देता हैं |
2. थर्ड जनरेशन ct scan system एक विशेष image artifact उत्पन्न करते हैं जिसे ring trtifacts कहते हैं | ये आर्टिफैक्ट्स इतनी ज्यादा संख्या में डिटेक्टर के उपयोग में लेन व उनके कैलिब्रेशन का अभाव हैं |
Fourth generation ct scanner
तीसरी पीढ़ी द्वारा उत्पन्न ring आर्टिफैक्ट्स को कम करने के लिए फोर्थ जनरेशन ct scan का विकास किया गया | पेशेंट के चारो और रोटेट करते हुए डिटेक्टर का कैलिब्रेशन किया जाना मुश्किल होता हैं | अतः इस जनरेशन में डिटेक्टर ऐरे को पेशेंट के चारो और एक स्थिर रिंग में लगा दिया जाता हैं जो की रोटेशन नहीं करती हैं, सिर्फ एक्सरे ट्यूब ही पेशेंट के चारो और रोटेशन करती है | फैन शेप्ड एक्सरे बीम को हर डिटेक्टर प्रोसेस करता हैं |
इस जनरेशन में रोटेट स्टेशनरी ज्योमेट्री (rotate stationary) होती हैं | केवल एक्सरे ट्यूब तथा जनरेटर ही घूमने के कारण स्कैन टाइम कम हो जाता हैं | इसके early versions में 600 डिटेक्टर होते थे जो की later versions में 4500 तक हो गए |
Adventage-
केवल एक्सरे ट्यूब तथा जनरेटर ही पेशेंट के चारो ओर घूमते हैं अतः स्कैन टाइम एक दम कम हो जाता है |
Disadvantage-
क्योंकि डिटेक्टर पेशेंट के चारो और एक रिंग में लगे होते हैं तथा एक्सरे ट्यूब ही पेशेंट के चारो और एक घूमती हैं | यह डिटेक्टर को उपयोग में लेने में कम दक्ष होता हैं क्योंकि किसी भी समय केवल 1/4 डिटेक्टर ही डाटा acquitation में काम आते हैं बाकि डिटेक्टर का कोई उपयोग नहीं होता हैं |
Fifth generation ct scanner-
इस जनरेशन को मुख्यतया कार्डियक टोमोग्राफ़िक इमेजिंग के लिए विकसित किया गया | इन स्कैनर्स को Cine-CT scanners या Electron beam scanners (EBCT) कहते हैं | इस जनरेशन के पहले तक, सीटी स्कैनर ने शरीर के अधिकांश हिस्से की इमेजिंग करने के लिए काफी प्रगति की थी। लेकिन, तीव्र गति और निरंतर धड़कन के कारण हार्ट की सबसे अच्छी इमेज को प्राप्त करने के लिए short scan time के समय की आवश्यकता थी। लेकिन ct scan machine के moving components इस स्कैन टाइम को कम करने में सबसे बड़ी बाधा थे | अतः फिफ्थ जनरेशन CT scanner में कोई मूविंग पार्ट नहीं होता हैं |
एक्स-रे ट्यूब रोटेशन के बजाय, इन इलेक्ट्रॉन बीम स्कैनर में एक बड़ी एक्स-रे ट्यूब होती है जिसके अंदर रोगी स्कैन के दौरान रहता है। रोगी के पीछे, एक इलेक्ट्रॉन गन होती है, जो इलेक्ट्रॉनों को बाहर निकालती है। यह इलेक्ट्रॉन बीम इलेक्ट्रॉनिक रूप से रोगी से दूर, नीचे झुक (deflect) जाती है, और रोगी को घेरने वाले बड़े, half circle टंगस्टन टारगेट पर गिरती हैं | टारगेट रिंग के साथ इलेक्ट्रॉनों की टक्कर एक एक्स-रे बीम उत्पन्न करती है, जो पेशेंट को पार करके उसके सामने लगे डिटेक्टर पर गिरती हैं|
Adventage-
इसका सबसे बड़ा एडवांटेज very short scan time होता हैं जिससे बीटिंग हार्ट की CT-movie बने सकते हैं | इसमें स्कैन टाइम 50 msec से काम होता है जिससे हार्ट के contraction तथा relaxation को कैप्चर कर सकते हैं |
Disadvantage-
इस जनरेशन के स्कैनर मुख्यतया हार्ट के स्कैन के लिए बनाये गए थे अतः केवल कार्डियोलॉजिस्ट के लिए विकसित की गयी | ये स्कैनर बहुत महंगे हैं | तथा ये बहुमुखी भी नहीं हैं अंततः चिकित्सा इमेजिंग के क्षेत्र में बहुत लोकप्रिय नहीं थी।
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जवाब देंहटाएंMRI Scan in Lucknow