Fluoroscopy Procedure रूटीन इमेजिंग टेस्ट है जिसमे आमतौर पर एक घंटे से 45 मिनट लगते हैं, हालांकि प्रत्येक प्रोसीजर का समय इस बात पर निर्भर करता है की किस बॉडी पार्ट की Fluoroscopic examination करना है । प्रोसीजर की शुरुवात आमतौर पर बॉडी में एक कंट्रास्ट डाई मटेरियल के एडमिनिस्ट्रेशन से शुरू होती है। यदि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इमेजिंग के लिए उपयोग किया जाता है, तो प्रोसीजर के इस हिस्से में कुछ असुविधा हो सकती है क्योंकि रोगी को कंट्रास्ट मेंडिस को निगलना पड़ता है। यह जीआई ट्रैक्ट के माध्यम से यात्रा करता है, जिससे डॉक्टर इसोफैगस, स्टोमक, छोटी आंतों और बड़ी आंतों की स्पष्ट इमेज प्राप्त कर सकते हैं। कोलन की जांच के लिए एक कंट्रास्ट डाई का भी उपयोग किया जा सकता है, लेकिन इसे रोगी को निगलने के बजाय एनीमा ट्यूब का उपयोग करके शरीर में रखा जाता है।
DISADVANTAGE OF FLUOROSCOPY
हालाँकि इसमें रेडिएशन लेवल न्यूनतम होता है | फिर भी इससे रेडिएशन इंजरी होने की सम्भावना होती है तथा रेडिएशन के कारण होने वाले दूसरे नुकसान भी हो सकते है | जैसे कैंसर होने की संभावना भी होती है |
- यह टू डायमेंशनल इमेज प्रदान करता है CT scan या MRI की तरह 3D इमेज प्रदान नहीं करता है जिससे बॉडी एनाटोमी की स्ट्रक्चर एक दूसरे पर ओवरलेप हो जाती है |
- पेशेंट की गतिशीलता (मोबिलिटी) तथा अनुपालन क्षमता (ability to comply) मेकामी के कारण उपयोग सिमित हो सकता है |
- इसकी द्वारा प्रोडूस इमेज में सॉफ्ट टिश्यू रेसोलुशन कम होता है |
- यह इमेज फार्मेशन के लिए आयोनाइजिंग रेडिएशन काम में लेती है |
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