SUBJECT CONTRAST
इसे कभी कभी Radiation contrast भी कहते है | सब्जेक्ट के कारण एक्सरे बीम के अलग अलग भाग में एक्सरे की तीव्रता अंतर का होना subject contrast कहलाता है |Subject contrast is the diffrence in x-ray intensity transmitted through one part of the subject as compared to that transmitted through another part.
अर्थात यह एक ही मोटाई व अलग अलग डेंसिटी के ऑब्जेक्ट द्वारा एकसमान एक्सरे बीम में उत्पन्न किया गया एक्सरे डेंसिटी में अंतर subject contrast कहलाता है |
यहाँ एक यूनिफार्म एक्सरे बीम एक muscle (A) तथा bone (B) से बने एक सामान मोटाई के ब्लॉक पर आपतित होती है | Muscle block कुछ ही एक्सरे फोटोन अवशोषित होते है तथा bone block अधिकांश एक्सरे फोटोन को अवशोषित कर लेता है | अब इस attenuated एक्सरे बीम में muscle के निचे खूब सारे एक्सरे फोटोन होते है तथा बोन के निचे केवल कुछ ही | सब्जेक्ट के कारण इस एक्सरे बीम की तीव्रता में अंतर को ही सब्जेक्ट कॉन्ट्रास्ट कहते है |
सब्जेक्ट कंट्रास्ट चार कारकों पर निर्भर करता है-
Read : Photo Electric Effect
माना की आपतित एक्सरे बीम की तीव्रता I तथा पतले ब्लॉक से पारगमित बीम की तीव्रता IS व मोठे ब्लॉक से पारगमित एक्सरे बीम की तीव्रता IL हो तो-
Muscle तथा Fat के एटॉमिक नंबर में अंतर बहुत कम होता है | इस कारण इनके द्वारा attenuate की गई एक्सरे बीम की मात्रा में बहुत काम अंतर होता है | 30 kV से कम ऊर्जा की low kVp xray, fat तथा muscle में सबसे अधिक PE difference उत्पन्न कर सकता है |
इसी कारन soft tissue radiography जैसे- mammography में low kVp xray की जरुरत होती है क्योकि कम atomic number में अंतर वाले टिश्यू में तब तक कंट्रास्ट उत्पन्न नहीं होता जब की अधिकतम photoelectric effect उत्पन्न न हो |
साधारणतया low kVP x ray, High contrast देती है जिसे short scale contrast कहते है | क्योकि इस फिल्म पर सबकुछ ब्लैक या वाइट होता है | High kVp xrays, lower subject contrst देती है जिसे long scale contrast भी कहते है | क्योकि यह ब्लैक तथा वाइट शेड के बिच ग्रे स्केल की बहुत सारी रेंज होती है |
सब्जेक्ट कंट्रास्ट चार कारकों पर निर्भर करता है-
Thickness Difference
दो समान पदार्थ के अलग - अलग मोटाई के बने ब्लॉक पर एकसमान एक्सरे बीम डाली जाये तो वे अलग अलग मात्रा में एक्सरे बीम को करते है | मोटे ब्लॉक से कम एक्सरे पार जाती है तथा पतले ब्लॉक से अधिक एक्सरे पार होती है |Read : Photo Electric Effect
माना की आपतित एक्सरे बीम की तीव्रता I तथा पतले ब्लॉक से पारगमित बीम की तीव्रता IS व मोठे ब्लॉक से पारगमित एक्सरे बीम की तीव्रता IL हो तो-
Subject contrast = IS / IL
Density Diffrence
अगर दो अलग अलग मेटेरियल के बने सामान मोटाई के ब्लॉक लिए जाये तो अधिक डेंसिटी वाला ब्लॉक काम एक्सरे को पारगमित होने देगा तथा कम डेंसिटी वाला ब्लॉक से अधिक एक्सरे पारगमित होंगी | जैसे आइस तथा वाटर में वाटर की डेंसिटी ज्यादा होती है अतः अधिक एक्सरे को रोकेगा तथा आइस काम एक्सरे रोक पायेगी |
वाटर 9% ज्यादा रेडिएशन को रोकता है |
Atomic Number Difference
हमारी बॉडी अलग अलग एटम, मॉलिक्यूल से मिल कर बनी होती है जिनका एटॉमिक वेट अलग अलग होता है | अतः बॉडी के अलग अलग भाग द्वारा रोकी (attenuate) गई एक्सरे की टिश्यू की effective atomic weight पर निर्भर करती है | इस attenuation में photoelectric effect का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है | कुछ बॉडी पार्ट के effective atomic weight नीचे टेबल में दिए गए है -
Muscle तथा Fat के एटॉमिक नंबर में अंतर बहुत कम होता है | इस कारण इनके द्वारा attenuate की गई एक्सरे बीम की मात्रा में बहुत काम अंतर होता है | 30 kV से कम ऊर्जा की low kVp xray, fat तथा muscle में सबसे अधिक PE difference उत्पन्न कर सकता है |
Radiation Quality
किसी भी एक्सरे फोटोन के द्वारा इसकी टिश्यू को प्रभावित करने की क्षमता इसकी एनर्जी पर निर्भर करती है | High kVp एक्सरे में अधिक एनर्जी होती है | Low kVp xray, High contrast उत्पन्न करती है लकिन यहाँ kVp इतना होना चाहिए की जिस पार्ट को एक्सरे से एक्सपोज़ करना है को आसानी से भेद (panetrate ) सके |साधारणतया low kVP x ray, High contrast देती है जिसे short scale contrast कहते है | क्योकि इस फिल्म पर सबकुछ ब्लैक या वाइट होता है | High kVp xrays, lower subject contrst देती है जिसे long scale contrast भी कहते है | क्योकि यह ब्लैक तथा वाइट शेड के बिच ग्रे स्केल की बहुत सारी रेंज होती है |
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जवाब देंहटाएंSir artefacts in x-ray film kya hota hai ?
जवाब देंहटाएंhttps://radiographyinhindi.blogspot.com/2019/05/radiographic-artifacts.html
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